रूस-भारत संवाद

रूसी ’बत्तखचोंचा’ एसयू-34 विमान की विशेषताएँ

यह नया विमान बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान माना जाता है और बड़ी आसानी से ख़ूब अच्छी तरह से सुरक्षित लक्ष्यों पर सटीक हथियारों से हमला करने के साथ-साथ ख़ूबसूरत पैंतरों वाली शानदार उड़ानें भी भर सकता है।

रूसी सेना में चपटे आकार की लम्बी नाक वाले एसयू-34 नामक इस विमान को सैनिक प्यार से ’बत्तख’ या ’बत्तखचोंचा’ कहते हैं। नाटो की सेना इसे ’फ़ुलबैक’ या पूरी तरह से सुरक्षित विमान के रूप में जानती है। रूस की वायुसेना के पास इस तरह के सौ से ज़्यादा विमान हैं। इनमें से कुछ विमान आजकल सीरिया मेंं आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (आईएस) के आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाइयाँ कर रहे हैं।

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रूस-भारत संवाद से बात करते हुए समाचार पत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य-विश्लेषक दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा —  एसयू-34 एक अनोखा विमान है। बाहर से देखने में वो एक लड़ाकू विमान की तरह लगता है। उसकी चपटी नोक वाली नाक और फूला हुआ पेट उसे लड़ाकू विमान की छवि देते हैं। लेकिन यह विमान एक भारी विमान के सारे काम कर सकता है। इस विमान पर एक साथ आठ टन तक वज़नी एकदम सटीक मार करने वाले हवाई बम या क्रूज मिसाइल तैनात किए जा सकते हैं।

इसके अलावा रास्ते में ईंधन लिए बिना भी यह विमान सात हज़ार किलोमीटर की दूरी पार कर सकता है और लक्ष्य से आमने-सामने जाकर भिड़ सकता है।

रूसी वायुसेना में एसयू-34 विमान एक साथ दो विमानों की जगह ले रहा है। ये विमान हैं — मोर्चे पर लड़ने वाले बमवर्षक एसयू-24 और बड़े आकार के विमान टीयू-22एम3।

दिमित्री सफ़ोनफ़ ने बताया — अपनी लड़ाकू क्षमता की दृष्टि से यह विमान इन दोनों विमानों से बहुत ज़्यादा सक्षम है। इस विमान का निर्माण एसयू-27 जैसे मशहूर विमान के आधार पर किया गया है, जिसकी बॉडी का आकार नए विमान में भी ले लिया गया है। इसी वजह से यह विमान भारी विमान होने के बावजूद बड़ी आसानी से ख़ूब पैतरेबाज़ी कर सकता है। लेकिन इसकी गति एसयू-27 से कम है।

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एसयू-27 के मुक़ाबले यह विमान सिर्फ़ 2000 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ़्तार से ही उड़ान भर सकता है, लेकिन भारी वज़न लेकर उड़ सकता है। इसी वजह से यह विमान ऐसे-ऐसे पैंतरे बदल सकता है, जो दुनिया का एक भी बमवर्षक नहीं बदल पाता।

बत्तखचोंचा में सुविधाएँ

इस तरह के विमानों में आम तौर पर पायलट एक-दूसरे के पीछे बैठते हैं, जबकि इस विमान में पायलट एक-दूसरे की बगल में कन्धे से कन्धा सटाकर बैठते हैं। इस तरह पायलट के केबिन में न सिर्फ़ बैठने की सुचारू व्यवस्था होती है, बल्कि लम्बी उड़ानों के दौरान चालक-दल के सदस्य एक दूसरे के साथ भली-भाँति सहयोग कर पाते हैं।

दिमित्री सफ़ोनफ़ ने बताया — बड़े बमवर्षक विमानों की तरह बत्तखचोंचा में कुछ ऐसी दूसरी सुविधाएँ भी हैं, जो लम्बी उड़ानों को आरामदेह बनाती हैं। जैसे इस विमान में एक रसोई भी बनी हुई है, जिसमें माइक्रोवेव ओवन लगा हुआ है। इसके अलावा विमान में शौचालय भी है। जबकि इस तरह की सुविधाएँ आम तौर पर लड़ाकू विमानों और सेना के विमानों में उपलब्ध नहीं होती हैं। 

उन्होंने बताया कि इस तरह की सुविधा अभी तक सिर्फ़ टीयू-160 नामक सामरिक बमवर्षक विमान में ही उपलब्ध थी, जिसे ’सफ़ेद हँस’ भी कहा जाता है। जबकि लम्बी उड़ानें भरने वाले टीयू-95 और मालवाहक विमान आईएल-76 में शौचालय की जगह सिर्फ़ एक बाल्टी रखी रहती है।

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एसयू-34 में एक ख़ासियत तह भी है कि उसमें बना  पायलट का केबिन काफ़ी लम्बा-चौड़ा है ताकि पायलट आराम से उठ-बैठ सकें और मन होने पर लेट भी सकें। पायलटों की सीटें भी काफ़ी जगह छोड़कर एक-दूसरे से दूर-दूर बनी हुई हैं।

एसयू-34 की ख़ासियतें

बत्तखचोंचा नामक इस विमान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह विमान किसी भी लक्ष्य को एकदम सटीकता के साथ पूरी तरह से नष्ट कर देता है।

यह बमवर्षक विमान दिन-रात कभी भी अपना काम पूरा करता है। मौसम कैसा भी हो, इलैक्ट्रोनिक प्रतिरोध कैसा भी हो, विमान अपना काम पूरा करता है।

मोर्चे पर लड़ने वाले बमवर्षक विमानों के इतिहास में पहली बार पायलटों का केबिन बेहद मज़बूत और बख़्तरबन्द से सुसज्जित बनाया गया है। विमान की सारी मशीनरी और विमान के पायलटों का केबिन सत्रह मिलीमीटर मोटी टाइटेनियम की चद्‍दर के कवच से ढके हुए हैं। इस कारण से यह विमान बिना किसी डर के दहकती हुई आग में या कंक्रीट की बनी मोटी बख़्तरबन्द इमारत में भी घुसकर हमला कर पाता है। इसे जवाबी हमले की कोई चिन्ता नहीं करनी पड़ती। एसयू-34 के केबिन को 30 मिलीमीटर कैलीबर के बम भी कोई नुक़सान नहीं पहुँचा पाते।

इसके अलावा यह विमान बड़ी ताकतवर रेडियो-इलैक्ट्रोनिक प्रणाली से लैस है जो शत्रु की इलैक्ट्रोनिक प्रणाली को नष्ट कर देती है। शत्रु की हवाई तोपें या वायु सुरक्षा प्रणालियाँ भी इस विमान की इलैक्ट्रोनिक प्रणाली के सामने बौनी सिद्ध होती हैं।

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’जन्मभूमि के शस्त्रागार’ नामक रूसी पत्रिका के सम्पादक वीक्तर मुरख़ोव्स्की ने बताया — जब एसयू-34 विमान दुश्मन के ठिकानों के ऊपर गोता लगाता है तो उसे रोकना असम्भव है। इस पर पीछे से भी हमला नहीं किया जा सकता है, जैसा तुर्की के विमान ने एसयू-24 विमान को मार गिराते हुए किया था। एसयू-34 विमान में पीठ के पीछे देखने के लिए भी एक राडार और चेतावनी व्यवस्था लगी हुई है, जो उन लोगों पर नज़र रखती है, जो पीछे से वार करते हैं। जैसे ही कोई ख़तरा पैदा होता है, राडार प्रणाली खतरे की चेतावनी देकर हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल से शत्रु पर निशाना साध लेती है। इसके बाद शत्रु पर लगातार मिसाइल टूट पड़ते हैं और शत्रु ख़त्म हो जाता है।

बत्तखचोंचा पर तैनात हथियार

वीक्तर मुरख़ोव्स्की ने बताया —  एसयू-34 की बॉडी पर बाहर की तरफ़ हथियार तैनात करने के लिए 12 हुक लगे हुए हैं। इन हुकों पर 8 टन तक मिसाइल और बम तैनात किए जा सकते हैं। 

— ये बम ऊपर से नीचे गिराए जा सकते हैं और अनिर्देशित मिसाइलों के रूप में भी हैं। इसके अलावा इस विमान पर निर्देशित हवाई बम और हवा से ज़मीन पर मार करने वाले निर्देशित मिसाइल भी होते हैं। इन विमानों पर तैनात रेडियो इलैक्ट्रोनिक युद्ध प्रणालियों की जगह ईंधन की अतिरिक्त टंकियाँ लगाई जा सकती हैं या फिर एसयू-27 विमानों की तरह हवाई-युद्ध के अन्य हथियार तैनात किए जा सकते हैं।

इसके अलावा एसयू-34 विमान पर 30 मिलीमीटर की एक तोप भी लगी हुई है।

रूसी सेना को हथियारों और तकनीक की आपूर्त्ति के लिए जवाबदेह रूस के रक्षा उपमन्त्री यूरी बरीसफ़ ने बताया कि जल्दी ही रूसी वायुसेना को कम से कम 200 ऐसे विमानों की सप्लाई की जाएगी।

हमलावर बत्तखचोंचा विमान न सिर्फ़ दो तरह के बमवर्षक  विमानों की जगह लेगा, बल्कि रूसी वायुसेना को और अधिक सक्षम बना देगा क्योंकि एसयू-34 न सिर्फ़ हवा से ज़मीन पर मार करने वाले मिसाइलों और हवाई बमों से लैस है, बल्कि उस पर एक्स-31 / 35 क्रूज मिसाइल और अतिआधुनिक ’याख़ोन्त’ मिसाइल भी लगे हुए हैं।

इसी वजह से जब एसयू-34 बाल्टिक क्षेत्र के ऊपर आकाश में उड़ान भरता है या बेरेन्त्स सागर के ऊपर दिखाई देता है तो चारों तरफ़ घबराहट फैल जाती है।

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